Bharat ki Jalvayu Kaisi Hai | भारत की जलवायु

Bharat ki Jalvayu kaisi hai:- भारत का आधा भाग कर्क रेखा के उत्तर में शेष दक्षिण में है। परन्तु उत्तर में हिमालय तथा दक्षिण में 3 और से समुद्र भारत में जलवायु को भिन्नता प्रदान करती है। शीतकाल में स्थलखण्ड से हवायें समुद्र की ओर प्रवाहित होती है। मानसूनी हवायें भारत की प्रायद्वीपीय संरचना के कारण 2 भागों में विभक्त हो जाती हैं।

Bharat ki jalvayu kaisi hai

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दो भागों में बाटी गई है।बंगाल की खाड़ी और अरब सागर

बंगाल की खाड़ी के मानसून को दक्षिण-पूर्वी मानसून तथा अरब सागर के मानसून को दक्षिण पश्चिम मानसून कहा जाता है।

अण्डमान निकोबार मानसून से सबसे पहले प्रभावित होता है दक्षिण-पूर्वी मानसून

मुख्य भूमि में सर्वप्रथम केरल प्रभावित होता है – दक्षिण-पश्चिम मानसून मानसूनी हवारों दो तरफ से भारत में प्रवेश करती हैं और परस्पर टकराकर भारी वर्षा करती है। पुनः हल्के होकर ये बादल ऊपर उठते हैं।

जिससे ये जेटस्ट्रीम की पकड़ में आ जाते है। जेट स्ट्रीम इसे चक्राकार में पूरे भारत में वितरित कर देता है।

मानसून पूर्व वर्षा bharat ki jalvayu kaisi hai

21 मार्च से भारत का तापमान बढ़ना प्रारम्भ होता है। जिससे किसी-किसी क्षेत्र में निम्नवायुदाब उत्पन्न हो जाता है। फलस्वरूप स्थानीय हवायें बादलों के साथ यहाँ वर्षा करती है। यही मानसून पूर्व की वर्षा है।

कर्नाटक में इसे मैंगो साँवर, काफी सॉवर, चेरी ब्लॉसम के नाम से जाना जाता है। दक्षिण में इसे नार्वेस्टर के नाम से जाना जाता है। पश्चिमी बंगाल में काल बैसाखी तथा असोम में टी-साँवर कहा जाता है।

इस वर्षा के बाद तापमान गिरता है जिससे मानसून की गति प्रभावित होती है।

पश्चिमी विक्षोभ : – bharat ki jalvayu kaisi hai

भारत में निरंतर पश्चिम से ठण्डी हवाओं का आवामन होता है। इन्हें पश्चिमी विक्षोभ के नाम से जाना जाता है। शीतकाल में यह शीत लहर तथा वर्षा का कारण बनती है।

लू bharat ki jalvayu kaisi hai

थार के मरूस्थल से चलने वाली गर्म हवायें जो शरीर की नमी समाप्त कर देती हैं।

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