Bharat ke Dhare: भारत के प्रमुख दर्रे

bharat ke dhare: एसएससी सीजीएल, यूपीएससी, एसएससी सीएचएसएल, राज्य सरकार जैसी विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं में अच्छा प्रदर्शन करने के लिए एक अभ्यर्थी के लिए भारतीय भूगोल पर मजबूत पकड़ होना महत्वपूर्ण है। परीक्षा, आदि। इसके अलावा, भारतीय भूगोल के कुछ प्रश्न विभिन्न बैंकिंग जैसे आईबीपीएस पीओ, एसबीआई क्लर्क आदि में भी पूछे जाते हैं। इस अनुभाग में अच्छे अंक प्राप्त करने के लिए, आपको यथासंभव अधिक से अधिक भारतीय भूगोल जीके प्रश्न और उत्तर से गुजरना होगा ।

bharat ke dhare

bharat ke dhare – geography gk questions

  • काराकोरम दर्रा : लद्दाख में काराकोरम की पहाड़ियों परभारत का सबसे ऊँचा दर्रा (5540m ऊँचा) इससे यारकन्द और तारिम बेसिन का मार्ग गुजरता है।
  • जोजिला दर्रा : 38K में समुद्रतल से लगभग चर 3528 मी. की ऊंचाई पर, जो श्रीनगर को कारगिल और लेह से जोड़ता है। NH-1D पर स्थित, 19 मई 2018 को 38K के लेह में एशिया की सबसे लम्बी जोजिला सुरंग का शिलान्यास | ल0-14km
  • बुर्जिल दर्रा : समुद्र तल से 4100 km से भी अधिक ऊंचाई पर यह दर्रा कश्मीर घाटी को लद्दाम के देवसाई मैदानों से जोड़ता है
  • पीर पंजाल दर्रा : 38K के दक्षिण-पश्चिम जम्मू को भी नगर से जोड़ने वाला यह दर्रा मुगल गेड पर हैं। उप-प्रायद्वीप के विभाजन के बाद इस दर्रे को बंद कर दिया गया है।
  • बनिहाल दर्रा : समुद्रतल से 2835m की ऊचाई पर पीरपंजाल श्रेणी में स्थित यह दर्रा जम्मू को भी नगर से जोड़ता है।
  • शिपकी ला दर्रा : समुद्र तल से 5669m से भी अधिक पालघाट ऊंचाई पर स्थित यह दर्रा, सतलज महाखड्ड से होकर हिमांचल प्रदेश को तिब्बत से जोड़ता है। तिब्बत से आने वाली सतलज नदी इसी दर्रे से भारत में प्रवेश करती है
  • रोहतांग दर्रा : हिमांचल प्रदेश की पीरपंजाल सेणी में (3979m)मनाली को लेह सड़क मार्ग से जोड़ता । लाहौल-स्पीति जिले का प्रवेश द्वार
  • बाहालाचा दर्रा : समुद्र तल से 4890 मी. की ऊंचाई पर J&K में मनाली को लेह से जोड़ने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग पर स्थित है।
  • नीति दर्रा : 5068m ऊँचा यह दर्रा उत्तराखण्ड के कुमायू में स्थित है। यह दर्रा उत्तराखण्ड को तिब्बत से जोड़ता है।
  • माना दर्रा : महान हिमालय की कुमारों पहाड़ियों (उत्तराखण्ड) में समुद्र तल से लगभग 5611m की ऊंचाई पर यह दर्रा उत्तराखण्ड को तिब्बत से जोड़ता है।
  • नाथुला दर्रा : भारत-चीन युद्ध (1962) में सामरिक महत्व के कारण चर्चित यह दर्रा सिक्किम राज्य की डोगेवया श्रेणी में है। समुद्र तल से लगभग 4310 मी. की ऊंचाई पर स्थित यह दर्रा प्राचीन रेशम मार्ग की एक शाखा है। भारत और चीन की सीमा से होने वाले 3 व्यापारिक मार्गो में से एक नाथुला दर्रा भी है
  • पांगसऊ दर्रा : समुद्रतल से 1136 मी. से भी अधिक ऊंचाई पर स्थित यह दर्रा अरुणाचल प्रदेश को मांडले (म्यांमार) से जोड़ता है।
  • तुजु दर्रा : यह मणिपुर राज्य के दक्षिण-पूर्व में है। इस दर्रे से इम्फाल से लापू व म्यांमार जाने का मार्ग गुजरता है।
  • दिफू दरी: यह अस्यांचल प्रदेश के पूर्व में म्यांमार सीमा पर स्थित है। यह भारत और म्यांमार के बीच एक परम्परागत दरी है जो व्यापार एवं परिवहन के लिए पूरे वर्ष खुला रहता है।
  • यांग्याप दरी : अरुणांचल प्रदेश के उत्तर-पूर्व में, इस दर के पास से ब्रह्मपुत्र नदी भारत में प्रवेश करती है। चीन के लिए भी मार्ग जाता है।
  • बोमडिला दर्रा : अरुणाचल प्रदेश में यह तवांग घाटी से होकर तिब्बत जाने का मार्ग है। यह Ar-P को तिब्बत की राजधानी ल्हासा से जोड़ता है।
  • जलप्ता दर्रा : यह में दार्जिलिंग व चुंबी घाटी से होकर तिब्बत जाने का मार्ग है। 4538m ऊंचाई पर यह दर्रा को सिक्किम लहासा से जोड़ता है।
  • लिपुलेख दर्रा : यह दर्रा भारत-चीन सीमा पर उत्तराखड राज्य के पिथौरागढ़ जिले में स्थित है। यह भारत और चीन के बीच पहला सीमा व्यापार प्वाइंट है। इस दरें का उपयोग कैलाश मानसरोवर यात्रा के लिए किया जाता है। यह भारत और चीन के मध्य होने वाले व्यापार में काफी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
  • चांगला : समुद्रतल से 5360 मी. से भी अधिक ऊंचाई पर स्थित महान हिमालय का यह दर्रा लद्दाख को तिब्बत से जोड़ता है।
  • थाल घाट : 583 मी. ऊँचा, यह दर्रा महाराष्ट्र में पश्चिमी घाट की सेणियों में स्थित है। यहाँ से दिल्ली- मुम्बई के प्रमुख सड़क व रेलमार्ग गुजरते हैं।
  • भोर घाट : यह महाराष्ट्र राज्य के पश्चिमी घाट श्रेणी में स्थित है। पुणे- बेलगाँव रेलमार्ग व सड़क मार्ग इसी दरें से गुजरते हैं।
  • पाल घाट : यह केरल के मध्य-पूर्व में नीलगिरि एवं अन्नामलाई पहाड़ी के मध्य स्थित है। (305m) कालीकटू- अनागसोडवटर इरोड के रेल व सड़क मार्ग इसी दरें से गुजरते हैं।

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