General knowledge of india | GK Questions for All Competitive Examinations

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general knowledge of india

GK Questions Indus Valley Civilization ( general knowledge of india)

  • बीसवीं सदी की शुरुआत तक इतिहासवेताओं की यह धारणा थी कि वैदिक सभ्यता भारत की प्राचीनतम सभ्यता है। लेकिन बीसवीं सदी के तीसरे दशक में खोजे गए स्थलों से यह साबित होगया कि वैदिक सभ्यता से पूर्व भी भारत में एक सभ्यता विद्यमान थी।
  • इसे हड़प्पा सभ्यता या सिंधु घाटी सभ्यता के नाम से जाना जाता है क्योंकि इसके प्रथम अवशेष हड़प्पा नामक स्थान से प्राप्त हुए थे तथा आरंभिक स्थलों में से अधिकांश सिंधु नदी के किनारे अवस्थित है।
  • सिंधु घाटी सभ्यता के विस्तार अवधि 2500- 1700 ई. पू. थी।
  • सर्वप्रथम 1921ई. में राय बहादुर दया राम साहनी ने हड़प्पा के अवशेष खोजे थे।
  • इस सभ्यता का विस्तार पंजाब, सिंध, ब्लूचिस्थान, गुजरात, राजस्थान, जम्मू और पश्चिम उत्तर प्रदेश तक था।
  • उत्तर में मांदा (जम्मू), दक्षिण में नर्मदा का मुहाना, पश्चिम में मकरान समुद्र तट (ब्लूचिस्तान), उत्तर पूर्व में मेरठ (उत्तर प्रदेश) और पूर्व में आलमगीरपुर इस सभ्यता की चौहद्दी (किसी स्थान के चारों ओर की सीमा) थी। सिंधु सभ्यता का क्षेत्र त्रिभुजाकार था तथा इसका क्षेत्रफल 12,99,600 वर्ग किमी था।
उत्खनन वर्षस्थलनिर्देशन
1921ई०हड़प्पा (मांटमोगरी जिला, पंजाब प्रांत, पाकिस्तान)दया राम साहनी
1922 ई०मोहन जोदड़ो( सिंध का लरकाना जिला, पाकिस्तान)राखलदास बनर्जी
1927 ई०सुतकांगेडोर (ब्लूचिस्तान, पाकिस्तान)ऑरेल स्टाइन
1931ई०चन्हूदड़ों (सिंध, पाकिस्तान)एम० जी० मजूमदार
1951-53 ई०रंगपुर (अहमदाबाद – काठियावाड़, भारत)माधोस्वरुप वत्स, बी बी लाल, एस.आर.राव
1953 ई०कोटदीजी (सिंध, पाकिस्तान)फजल अहमद
1953 ई०रोपड़ (पंजाब भारत)यज्ञदत शर्मा
1961ई०कालीबंगा (गंगानगर-राजस्थान, भारत)बी०बी० लाल
1954ई०लोथल (अहमदाबाद काठियावाड़, भारत)एस. आर.राव
1958ई०आलमगीरपुर(मेरठ -उत्तरप्रदेश, भारत)यज्ञदत शर्मा
1972ई०सुरकोटड़ा (कच्छ – गुजरात, भारत)जगपति जोशी
1973ई० बनावली(हिसार- हरियाणा, भारत)आर.एस. बिष्ट
1990ई०धेोलबीरा (कच्छ – गुजरात, भारत)आर. एस. बिस्ट
सिंधु सभ्यता के महत्त्वपूर्ण उत्तखन्न स्थल

सिंधु घाटी नगर योजना( gk questions) हड़प्पा संस्कृति की विशेषताएं

  • इस सभ्यता की महत्वपूर्ण विशेषता नगर योजना थी।
  • सिंधु सभ्यता की ईंटों की विशेषता यह है कि उन पर किसी प्रकार का चित्र नहीं मिलता। कुछ कच्ची ईंटों पर कुत्तों और कोवों के पंजों के निशान मिलते हैं।
  • प्रत्येक सड़क और गीली के दोनों और पक्की नालियां बनाई गई थी, नालियां पक्की ढकी हुई थी।
  • नगरों में सड़कें व मकान विधिवत बनाए गए थे, मकान पक्की ईंटों के बने होते थे तथा सटक सीधी होती थी।
  • स्नानागार प्राय: मकान के उस भाग में बनाए जाते थे, जो सड़क अथवा गली के निकटतम होते थे।
  • मोहनजोदड़ो में एक विशाल स्नानागार मिला है जो 11.88 मीटर लंबा, 7.01 मीटर चौड़ा एवं 2.43 मीटर गहरा था। इस स्नानागार का प्रयोग आनुष्ठानिक स्नान के लिए होता था।
  • नगर प्राय: दो भागों में बंटे होते थे पूरी भाग अथवा सिटेडल तथा निचला भाग। सिटेडल में जन इमारतें, खाद्ध भंडार गृह, महत्वपूर्ण कार्यशालाएं तथा धार्मिक इमारतें स्थित थी। निचले भाग में लोग रहा करते थे।

सिंधु घाटी सभ्यता में लोगों का आर्थिक जीवन कैसा था?

  • सिंधु निवासियों के जीवन का मुख्य उत्तम कृषि करना था। सिंधु तथा उसकी सहायक नदियां प्रतिवर्ष उर्वरा मिट्टी बहा कर लाती थी तथा पाषाण व कांस्य से निर्मित उपकरणों की सहायता से खेती की जाती थी।
  • यहां के प्रमुख खाद्यान्न गेहूं तथा जौ थे। खुदाई में गेहूं तथा जौ के दाने मिले हैं।
  • यहां के किसान अपने आवश्यकता से अधिक अनाज उत्पन्न करते थे तथा अतिरिक्त उत्पादन को नगरों में भेजते थे। नगरों में अनाज के भंडारण के लिए अन्नागार होते थे।
  • फलों में केला, नारियल, खजूर, अनार, नींबू, तरबूज आदि का उत्पादन होता था।
  • कृषि के साथ-साथ पशुपालन का भी विकास हुआ था। कुबड़दार वृषभ का मुहरों पर अंकन बहुतायत में मिलता है अन्य पालतू पशुओं में बैल, गाय, भैंस, कुत्ते, सुअर, भेड़, बकरी, हिरन, खरगोश, आदि थे।
  • सुरकोटडा से प्राप्त अश्व अस्थि तथा लोथल और रंगपुर से प्राप्त अश्व की मृणमूर्तियां के आधार पर अब यह निष्कर्ष निकाला जा रहा है कि सैंधव निवासी अश्व से परिचित थे। ये हाथी से भी परिचित थे।
  • कृषि तथा पशुपालन के साथ-साथ उद्योग एवं व्यापार भी अर्थव्यवस्था के प्रमुख आधार थे।वस्त्र निर्माण किस काल का प्रमुख उद्योग था ।
  • सूती वस्त्रों के अवशेषों से ज्ञात होता है कि यहां के निवासी कपास उगाना भी जानते थे विश्व में सर्वप्रथम यही के निवासियों ने कपास की खेती प्रारंभ की थी।
  • इस सभ्यता के लोगों की मुहरें एवं वस्तुएं पश्चिम एशिया तथा मिस्त्र में मिली हैं, जो वह दिखाती हैं कि उन देशों के साथ इनका व्यापारिक संबंध था।
  • यहां के निवासी वस्तु विनियम द्वारा व्यापार करते थे।
  • हड़प्पा संस्कृति में तोल के बाट 16 अथवा इसके गुणज भार के थे।(16,64,160,320)
आयात की जाने वाली वस्तुस्थल
सोना (स्वर्ण)कर्नाटक, अफगानिस्तान, फ्रांस
चांदी (रजत)अफगानिस्तान, फ्रांस (ईरान)
तांबाखेतड़ी (राजस्थान), ब्लूचिस्तान
टीन मध्य एशिया, अफगानिस्तान
सीसाराजस्थान, दक्षिण भारत
गोमेद सौराष्ट्र
जुवमणि महाराष्ट्र
फिरोजा ईरान, अफगानिस्तान
लाजवर्दमणि मेसोपोटामिया
नील रत्न बदख्शां
आयात की जाने वाली वस्तु

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हड़प्पा सभ्यता के समय में शिल्प तथा उधोग धंधे

  • कृषि तथा पशुपालन के अतिरिक्त यहां के निवासी शिल्पों तथा उद्योग धंधों में भी रुचि लेते थे।
  • यहां के निवासी धातु निर्माण उद्योग, आभूषण निर्माण उद्योग, बर्तन निर्माण उद्योग, हथियार औजार निर्माण उद्योग और परिवहन उद्योग से परिचित थे।
  • खुदाई में प्राप्त कताई बुनाई के उपकरणों से पता चलता है कि कपड़ा बुनना एक प्रमुख उद्योग था।
  • चाक पर मिट्टी के बर्तन बनाना, मुद्राओं का निर्माण करना, आभूषण एवं गुरियों का निर्माण करना, खिलौने बनाना आदि कुछ अन्य प्रमुख उद्योग थे।
  • लकड़ी की वस्तुओं से पता चलता है कि बढ़ईगिरी का व्यवसाय भी था।

हड़प्पा सभ्यता के समय सामाजिक जीवन (प्राचीन भारत में समाज क्या है?)

  • उस समय सामाजिक जीवन सुखी तथा सुविधा पूर्णता व सामाजिक व्यवस्था का मुख्य आधार परिवार था।
  • मिट्टी के अतिरिक्त सोने, चांदी एवं तांबे से निर्मित बर्तनों का प्रयोग होता था।
  • सोने, चांदी, हाथी दांत, तांबे एवं शिव से निर्मित आभूषण जैसे कंठाहार, कर्णफूल, हंसली, भुजबंद, तथा कड़ा आदि का प्रचलन था। जिन्हे स्त्री तथा पुरूष समान रूप से पहनते थे।
  • खुदाई से प्राप्त बहुसंख्यक नारी मूर्तियों से अनुमान लगाया जा सकता है कि उनका परिवार मातृसत्तात्मक था।
  • समाज व्यवस्था के आधार पर चार भागों में विभाजित था विद्वान,योद्धा, व्यापारी, शिल्पकार और श्रमिक
  • हड़प्पा की खुदाई से अत्यंत विशाल तथा लघु मकान पास पास स्थित मिले हैं जो इस बात का प्रमाण है कि समाज में धनी निर्धन का भेदभाव नहीं था।
  • मछली पकड़ने वाला था चिड़ियों का शिकार करना नियमित क्रियाकलाप था।
  • सिंधु निवासी शाकाहारी दशामा सारी दोनों प्रकार के भोजन करते थे गेहूं, जौ, चावल, तिल तथा दाल आदि उनके प्रमुख खाद्यान्न थे।
  • सिंधु निवासी आमोद प्रमोद के प्रेमी थे जुआ खेलना, शिकार, नाचना, गाना बजाना आदि लोगों के आमोद प्रमोद के साधन थे पाशा इस युग का प्रमुख खेल था।

सेंधव काल का धार्मिक जीवन कैसा था

  1. यहां पर पशुपतिनाथ, महादेव, लिंग, योनि, वृक्षों को पशुओं की पूजा की जाती थी। यह लोग भूत-प्रेत अंधविश्वास व जादू टोने पर भी विश्वास करते थे।
  2. लोथल (गुजरात) और कालीबंगा (राजस्थान) के उत्खननों परिणाम स्वरूप कई अग्निकुंड कथा अग्निवेदिकाएं मिली है।
  3. बैल को पशुपतिनाथ का वाहन माना जाता था। फाख्ता एक पवित्र पक्षी माना जाता था।
  4. स्वास्तिक चिन्ह संभवत हड़प्पा सभ्यता की देन है।
  5. मृतकों के संस्कारों में तीन विधियां प्रचलित थी 1. पूर्ण समाधि करण 2. आंशिक समाजीकरण 3. दाह संस्कार
  6. मातृ देवी की संप्रदाय का सेंधव संस्कृति में प्रमुख स्थान था मात्र देवी की ही भांति देवताओं की उपासना में भी बलि का विधान था।

सेंघव निवासी की लेखन कला

  • दुर्भाग्यवश अभी तक सिंधु सभ्यता की लिपि को पढ़ा नहीं जा सका है इसमें चित्र और अक्सर दोनों ही ज्ञात होते हैं (400 अक्षर और 600 चित्र)
  • यह लिपि प्रथम लाइन में दाएं से बाएं और द्वितीय लाइन में बाएं से दाएं लिखी गई है यह तरीका बाउस्ट्रोफिडन (boustrophedon) कहलाता है।

सभ्यता का अंत

  • यह सभ्यता तकरीबन 1000 साल रही।
  • इसके अंत के कारणों के बारे में इतिहासकार एकमत नहीं है और अलग-अलग मत दिए गए हैं जिनमें प्रमुख है जलवायु परिवर्तन, नदियों के जल मार्ग में परिवर्तन, आर्यों का आगमन, बाढ़, सामाजिक ढांचे में बिखराव, भूकंप आदि

हड़प्पा सभ्यता के प्रमाण क्या है

                       महत्त्वपूर्ण प्रमाण 
डॉकयार्ड का साक्ष्य लोथल (गुजरात भोगवा नदी के किनारे)
कांसे की नर्तकी (देवदासी)की मूर्तिमोहनजोदड़ो
सूती कपड़े का साक्ष्य मोहनजोदड़ो
आर्यों के आगमन का साक्ष्यमोहनजोदड़ो
विशाल स्नानागार मोहनजोदड़ो
जहाज के निशान वाली मुहर मोहनजोदड़ो
कांसे का पैमाना मोहनजोदड़ो
पशुपति शिव की प्रतिमामोहनजोदड़ो
R -37 कब्रिस्थान हड़प्पा (3कक्षों का कब्रिस्थान
माता देवी प्रतिमा हड़प्पा
मनके बनाने का कारखाना चन्हुदड़ो (सिंध)
लकड़ी की नाली कालीबंगा
काली मिट्टी की चिड़ियाकालीबंगा
जूते हुए खेत के साक्ष्य कालीबंगा
घोड़े के कंकाल सुरकोटडा
अग्नि वेदिकाएं लोथल व कालीबंगा
चावल की खेती लोथल
गेहूं की खेती रंगपुर
जों की खेती बनावाली

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