BLOOD CIRCULATION ( रक्त परिसंचरण) General Science GK Question in Hindi
- रक्त परिसंचरण की खोज 1628 में विलियम हार्वे ने की थी।
- रक्त परिसंचरण तंत्र शरीर का परिवहन तंत्र होता है इसके द्वारा आहार,ऑक्सीजन, जल तथा अन्य आवश्यकताओं की पूर्ति उत्तक कोशिकाओं को जाती है।
- शरीर के भीतर रक्त परिसंचरण में लगभग 23 सेकंड का समय लगता है।
BLOOD CIRCULATION= ह्रदय (HEART) → रक्त (BLOOD), धमनी (ARTRI), शिरा (vain), प्लीहा (Spleen)
BLOOD :- रक्त Science Gk in Hindi
रक्त का अध्ययन (Study of blood) को हिमैटोलोजी कहते है।
रक्त एक प्रकार का तरल संयोजी ऊतक होता है।
रक्त निर्माण की प्रक्रिया → हीमोपोइसिस
रक्त रोकने की प्रक्रिया → हीमोस्टेसिस
शरीर में रक्त की कमी → अनीमिया
शरीर में रक्त आपूर्ति में कमी की प्रक्रिया इस्कीमिया कहलाती है।
सामान्यत: रक्त का थक्का बनन का समय → 2 से 5 मिनट
मानव शरीर में रक्त की मात्रा शरीर के भार की लगभग 7 % होती है।
एक व्यस्क मनुष्य में लगभग 5 से 4 लीटर रक्त होता है।
रक्त का PH मान → 7.4 (माध्यम → क्षारीय)
स्तनधारी वर्ग में रक्त का सबसे अधिक तापमान → 39⁰c (बकरी)
उच्च रक्तीय प्राणी → चमगादड़
शीत रक्तीय प्राणी → छिपकली, मेढ़क, मछली
नोट :- लसिका तंत्र रक्त के PH मान को नियंत्रित करता है। रक्त के PH मान में 0.2 की कमी होने पर मृत्यु हो जाती है।
हमारे शरीर के अंदर रक्त न जमने का कारण हीपेरीन प्रोटीन होता है। जो लीवर में बनता है।
खून का रंग लाल हिमोग्लोबिन के कारण होता है।
मनुष्य के रक्त चाप को ब्रेंकियल धमनी से मापा जाता है।
BLOOD PRESSURE → रक्त द्वारा धमनी की भित्तियों पर डले रक्त के दाब को रक्त दाब कहते है।
सामान्य रक्त दाब 120/80 mm Hg
120 → Systolic(upper) और 80 → Distolic (lower)
एड्रिनेलिन ग्रंथि रक्त चाप को नियंत्रित कृति है।
हाइपरटेंशन → जब कोई व्यक्ति लगातार उच्च रुधिर दाब (150/90 mmHg) से पीड़ित होता है तो उस अवस्था को हाइपरटेंशन कहते हैं
हाइपोटेंशन → जब कोई व्यक्ति लगातार निम्न रक्तदाब (100/50 mm Hg) से पीड़ित हो, उसे हाइपोटेंशन कहते हैं।
रक्त दाब स्फाइगनोमैनोमीटर से मापा जाता है।
शरीर का तापमान → 37⁰c या 98.4F होता है।
जब शरीर का तापमान 95 f से गिर जाए तो इस स्थिति को हाइपोथर्मिया कहते है।
सोडियम – 24 (Na – 24) रेडियो समस्थानिक का प्रयोग परिवहन तंत्र में रक्त के थक्के का पता लगाने हेतु किया जाता है।
रक्त, हिमोग्लबीन, आयरन, की कमी से अनीमिया हो जाता है।
नोट :- रक्त का निर्माण हड्डी के अंदर वाले भाग bone marrow में होता है।
शरीर का वर्ल्ड बैंक प्लीहा या तिल्ली (spleen) को कहा जाता है।
प्लीहा का कार्य भक्षकाणु क्रिया करना होता है।
BLOOD में प्लाज्मा (55%)→(पानी 90%) → प्रोटीन (7-10%) और रुधिराणु (45%)
प्लाज्मा – यह रक्त का तरल अजीवित भाग होता है। रक्त में यह हल्के पीले रंग का द्रव्य होता है। (स्वाद नमकीन तथा मध्यम क्षारीय होता है।)
कार्य – पचे हुए भोजन एवं हार्मोन का शरीर में संवहन प्लाज्मा द्वारा होता है।
सेरम – जब प्लाज्मा में से फाईब्रोजिन नामक प्रोटीन निकाल लिया जाता है तो शेष प्लाज्मा को सेरम कहते है।
रुधिराणु – यह रक्त का शेष 45% भाग होता है इसे तीन भागों में बांटते है।
- R.B.C → RED BLOOD CORPUSCLES (5 लाख mm³)
- W.B.C → WHITE BLOOD CORPUSCLES (4 – 11हजार mm³)
- PLATELETS → (12½ लाख mm³)
नोट :- रुधिर स्कंदन के बाद कुछ पीला सा पदार्थ रह जाता है जिसे सीरम कहते है।
General Science gk question in hindi लाल रक्त कणिकाएं (Red Blood Corpuscles)
इनका वैज्ञानिक नाम → इरिथ्रोसाइट (संख्या → 5 लाख mm³)
R.B.C में प्राय: केंद्र नही होता है लेकिन ऊंट एवं लामा नामक स्तनधारी की RBCs में केंद्रक पाया जाता है।
निर्माण → अस्थिमज्जा ( Bone marrow)
जीवन काल → 20 से 120 दिन
नोट :- भ्रूण अवस्था में RBC का निर्माण लिवर और प्लीहा में होता है।
मृत्यु → प्लीहा (Spleen)
नोट :- मृत R.B.C पूर्ण रूप से नष्ट लिवर में होती है।
R.B.C का कब्रिस्थान → प्लीहा और यकृत
(R.B.C की संख्या हिमोसाइटोमीटर से मापते है)
R.B.C : W.B.C = 600 : 1
नोट :- प्रोटीन, आयरन, विटामिन B12 एवं फोलिक अम्ल RBCs के निर्माण में सहायक होते है।
RBC में हीमोग्लोबिन होता है। जिसमें हीम नामक या हीमैटिन लोह यौगिक होता है जिसके कारण रक्त का रंग लाल होता है।
ग्लोबिन लोह युक्त प्रोटीन होता है जो ऑक्सीजन एवं कार्बन डाइऑक्साइड से संयोग करने की क्षमता रखता है।
हीमोग्लोबिन की कमी से अनीमिया हो जाता है।
पुरुषों में हीमोग्लोबिन की मात्रा → 14 -16 gm
महिला → 12 – 14 gm
R.B.C के कार्य → शरीर की प्रत्येक कोशिका में ऑक्सीजन पहुंचाना एवं CO2 वापस लाना।
सोते समय R.B.C की संख्या 5% कम हो जाती है तथा जो लोग 4200 m ऊंचाई पर होते है। उनकी RBCs में 30% की वृद्धि हो जाती है।
R.B.C में कमी होना → इरिथ्रोपेनिया और अनीमिया
W.B.C →श्वेत रक्त कणिकाएं (White Blood Corpuscles) (4 से 11 हजार mm³)
इसका वैज्ञानिक नाम → ल्युकासाइट
आकार और रचना में अमीबा की तरह होती है तथा इनमे केंद्रक पाया जाता है। ये रंगहीन होती है और R.B.C से बड़ी होती है।
नोट :- WBC का सबसे अधिक भाग (60-70%) न्यूट्रोफिल्स कणिकाओं से बना होता है। न्यूट्रोफिल्स कणिकाएं रोगाणुओं तथा जीवाणुओं का भक्षण करती है।
WBC का मुख्य कार्य संक्रमण से लड़ने में मदद करना है किसी भी संक्रमण के समय इनकी संख्या बढ़ जाती है। WBC को ” शरीर का सैनिक” भी कहा जाता है।
सबसे छोटी W.B.C → लिम्फोसाइट (इसमें एंटीबोडी बनती है।)
सबसे बड़ी W.B.C → मोनोसाइट
W.B.C का निर्माण → अस्थिमंजा, लिम्फ नोड, प्लीहा, यकृत,
W.B.C का जीवनकाल → 2 से 4 दिन और मृत्यु → रक्त या R.B.C में
W.B.C की संख्या ज्यादा हो जाने से कैंसर हो जाता है जिसे ल्यूकेमिया कहते हैं।
नोट :- शरीर के भीतर उतको की मृत्यु → न्यूट्रोफीलिया
प्लेटलेट्स (रक्त बिम्बाणु)→ संख्या 2½ लाख mm ³
- इसका वैज्ञानिक नाम → थ्रम्बोसाइट
- निर्माण। → अस्थिमज्जा
- जीवन काल → 3 से 7 दिन
- मृत्यु → प्लीहा
- मुख्य कार्य → रक्त का थक्का जमाने में सहायक
Note :- यह केवल मनुष्यों और स्तनधारियों के रक्त में पाया जाता है।
डेंगू ज्वर में शरीर में प्लेटलेट्स की कमी हो जाती है।
प्लेटलेट्स की कमी होना → थ्रम्बोपेनिया
रक्त का थक्का जमाने के लिए अनिवार्य
Vitamin | vitamin K |
प्रोटीन | फाईब्रोजिन |
रक्त का भाग | प्लेटलेट्स |
एंजाइम | ट्रिप्सिन |
Ca+ कैल्शियम आयन भी रक्त को जमाने में सहायक होता है।
नोट :- बल्ड बैंक में रुधिर को 4° c तापमान पर रखा जाता है।
ब्लैड बैंक में रक्त 30 से 40 दिन ही रह सकता है।
रुधिर (रक्त) वाहिका से निकाले गए रुधिर को जमने से बचाने के लिए उसमें थोड़ा सा ऑक्जालेट (सोडियम तथा पोटाशियम ऑक्जालेट) मिलाया जाता है। (Na & K)
Blood Group (रक्त समूह)
RH factor रीसस कारक
Antigen एंटीजन
रक्त समूह की खोज 1900 में कार्ल लैंड स्टिनर ने की थी तथा इसके लिए 1930 में उसे नोबेल पुरस्कार मिला था।
- रक्त समूह चार प्रकार का होता है → A, B, AB, O
- रक्त समूह में भिन्नता का कारण RBC में पाई जाने वाली एक विशेष प्रकार की प्रोटीन है यह ग्लाईकोमाप्रोटीन होती है जिसे एंटीजन कहते है।
- एंटीजन दो प्रकार की होती है → A और B
- एंटीबॉडी → एंटीबॉडी श्वेत रक्त कणिकाओं में संश्लेषित गामा ग्लोब्यूमिन प्रोटीन के रूपातरंग के फलस्वरूप संश्लेषित होता है अथवा ऐसी औषधि या रसायन या जीवाणु जो अन्य हानिकारक जीवाणुओं से हमारी रक्षा करती है उसे एंटीबॉडी कहते हैं।
- एंटीबॉडी दो प्रकार की होती है→A और B
- एंटीजन एंटीबॉडी का अध्ययन कहलाता है →सिरोलॉजी
Blood Group | Antigen | Antibody |
A | A | B |
B | B | A |
AB | AB | X |
O | X | AB |
Note :- O सर्व दाता रक्त समूह है → एंटीजन नही होता
AB सर्वग्राही ग्रुप है क्योंकि → एंटीबॉडी नहीं होती है।
Note :- जब A रुधिर वर्ग के रक्त का, B रुधिर वर्ग के रक्त में मिश्रण के फल स्वरुप रक्त कोशिकाओं का अभिश्लेषण हो जाएगा और इसमें लाल रक्त कणिकाएं आपस में चिपक जाएगी। जिस से चिपकाव के फलस्वरूप रक्त वाहिनीयों में अवरोध उत्पन्न हो जाता है और मृत्यु हो जाती है।
माता पिता का रक्त समूह | बच्चे का रक्त समूह |
O→O | O |
O→A | O,A |
O→B | O,B |
O→AB | A,B |
A→B | A,B,AB,O |
B→B | O,B |
A→A | O,A |
B→AB | A,B,AB |
AB→AB | A,B,AB |
RH → रीसस कारक
एरिथ्रोब्लास्टोसिस फीटेलिस(Erythroblastosis Fetalis)
इसकी खोज कार्ल लैंड स्टीनर और विनर 1940 में की थी। इसकी खोज सबसे पहले बंदर में की गई थी।
Note:-यदि पिता का रक्त में RH+ हो तथा माता के रक्त में (RH -) हो तो उनकी पहली संतान तो सही होगी लेकिन दूसरी संतान के समय या तो मां की मृत्यु को होगी या बच्चें की।
(Science Gk)लसीका का क्या अर्थ है?
लसीका: लसीका एक रंगहीन द्रव है जिसमें लाल रुधिर कणिकाएं और प्लेटलेट्स नहीं होते हैं। साधारण इसमें लिंफोसाइट तैरते हैं। लसीका में मौजूद लिंफोसाइट रोगाणुओं जैसे जीवाणुओं का भक्षण कर उन्हें नष्ट करके संक्रमण से हमारी सुरक्षा करते हैं। यह शरीर के असंक्राम्य तंत्र (Immunity System) का निर्माण करते हैं।
धमनी (Artri)
ह्रदय से शुद्ध रक्त को विभिन्न अंगों तक पहुंचाने वाली रक्त वाहिकाओं को धमनियां कहते हैं।
यह लाल रंग की होती हैं और प्राय इन में शुद्ध रक्त होता है (अपवाद) – फुफसीय धमनी (Pulmonary Artri) में अशुद्ध रक्त होता है।
- सबसे बड़ी धमनी – एब्सोमिनल एरोटा (महाधमनी)
शिराएं (Veins)
विभिन्न अंगों से अशुद्ध रक्त लेकर हार्ट तक पहुंचाने वाले रक्त वाहिकाओं को शिरा कहते हैं। शिराओं में अशुद्ध रक्त होता है लेकिन फुफसिय शिरा में शुद्ध खून होता है।
सबसे बड़ी शिरा → इन्फिरियर वेनेकेवा