Moral Story in Hindi | दुनिया की सबसे सुखी औरत बहू तो दुनिया की सबसे दुखी औरत

Moral Story in Hindi: दुनिया की सबसे सुखी औरत बहू तो दुनिया की सबसे दुखी औरत

आज अनुराधा जी बहुत परेशान थी। जब से अपनी बेटी नंदिनी के ससुराल से लौट कर आई है तब से यूं ही उदास बैठी हुई है। हालांकि मानसी को सब कुछ समझ में आ रहा था पर उसने बोलना ठीक नहीं समझा। जानती थी कि अनुराधा जी जब बेटी को लेकर परेशान होती है तो उस समय उन्हें छेड़ना अपनी लिए आफत मोल लेना है। अपनी सात महीने की शादी में वो ये बात अच्छे से समझ चुकी है। अब ऐसे में उनसे कुछ पूछ नहीं सकते। नहीं तो सुनने को मिलता,

“तू तो बहुत आराम से रहती है। मेरी बेटी को देखो कितनी परेशान है। तुझे क्या पता परेशानी क्या चीज होती है? तुझे तो सब कुछ मिला हुआ है। तू तो अपने ससुराल में भी मायके की तरह रहती है। मेरी बेटी फूलों में पली हुई ऐसे ससुराल में रहती है कि कुछ कह नहीं सकती। ऐसे माहौल में कैसे रहती है उसका ही दिल जानता है। आखिर मां हूं उसकी “

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उनके आगे तो मानसी कुछ कह ही नहीं पाती। पता नहीं जब भी नंदिनी के ससुराल कुछ होता तो अनुराधा जी को यही लगता कि उनकी बहू इस दुनिया में सबसे सुखी औरत है जबकि बेटी इस दुनिया की सबसे दुखी औरत। सारे अत्याचार उन्हीं की बेटी पर होते हैं जबकि बहू तो ऐशो आराम से रहती है।
और दुखी होने का कारण भी कोई खास नहीं होता। आज नंदिनी के ससुराल में उसके बेटे का जन्मदिन था। जाहिर सी बात है कि पार्टी में दोनों ननदों को भी बुलाया गया था। उसकी दो ननदें वहां आई हुई थी। बस पार्टी खत्म होने के बाद नंदिनी की सास ने अपनी दोनों बेटियों को घर पर ही रोक लिया। जाने नहीं दिया ये कहकर कि कल चली जाना।

बस इसी बात का दुख सताए जा रहा था। बस यही सोच सोच करके परेशान हुए जा रही थी। बेटी भी एक नंबर की कामचोर थी। मां से प्रोग्राम में ही शिकायत कर रही थी,
” देखो दोनों ननदों को रोक लिया। इन्हें क्या काम करना पड़ता है। काम तो मुझे करना पड़ता है ना। ये तक नहीं सोचा कि मैं कितनी थक गई हूं “
तभी मानसी ने कहा,
” आपकी दोनों ननदे तो काम खुद ही संभाल लेती है। देखो कितना भाग भाग कर काम कर रही है”
तब नंदिनी तुनकते हुए बोली,
” हां, लोगों को दिखाने के लिए भाग भाग कर काम करती है। पता है ना यहां तो विदाई मिलेगी। अब दोनों ननदें आ गई तो अब मुझे ही सारा काम संभालना पड़ रहा है। पता नहीं कब जाएगी अपने घर। इन लोगों का भी बढ़िया है। बस अपने मायके आकर बैठ जाती है। मेरा बस चले तो इनका मायका ही खत्म कर दूं”
इससे पहले मानसी कुछ कहती अनुराधा जी बोली,
” अब तू क्या जाने। तेरी तो एक ही ननद है। और वह भी इतनी सीधी है कि तुझे परेशान नहीं करती। जिनकी दो दो ननदें होती है वही समझ सकती हैं। बेवजह अपनी एडवाइस मत दे”


अब अनुराधा जी के सामने तो मानसी कुछ ना बोली। आखिर कहे तो कहे कैसे कि उसकी ननद तो पूरी जलेबी की तरह सीधी है। यहां ननदें कम से कम भाग के काम तो कर रही थी। वहां तो ननद हिलती ही नहीं थी मां के पास से।

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और अब यहां घर पर आने के बाद मां अनुराधा जी बैठ गई इन सब चीजों को लेकर। उसके दुख को अपना दुख बनाकर बैठी हुई है। आलम तो यह था कि आने के बाद तो हाथ पैर भी नहीं चल रहे थे। कह रही थी बदन टूट रहा है, सिर दर्द हो रहा है। आज तो बिल्कुल जान ही नहीं है। इसलिए एक कप चाय की डिमांड की थी।
खैर अब सास ने डिमांड कर दी तो मानसी को तो चाय बनानी ही थी। तो चाय बनाकर मानसी उन्हें कमरे में पकड़ाने गई।

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मानसी अभी उन्हें चाय देने कमरे में आई थी कि उसी समय उनके फोन की घंटी बज पड़ी। देखा तो ननद का ही फोन था। मानसी ने कहा,
“मम्मी जी नंदिनी दीदी का फोन आया है”
नंदिनी दीदी का नाम सुनते ही अभी तक जिन हाथ पैरों में हलचल नहीं थी वो अचानक दिखाई दी। बड़ी स्फूर्ति से उठकर अनुराधा जी ने फोन रिसीव किया। अनुराधा जी ने फोन उठाते ही पूछा,
” कैसी है बेटा, सब ठीक तो है”
उधर से नंदिनी ने अपनी परेशान आवाज में अनुराधा से कहा,

” बहुत थक गई हूं मम्मी। अभी-अभी दोनों ननदों और सास के लिए काॅफी बना कर आई हूं। पता नहीं रात को भी चैन नहीं है। मैं भी तो फंक्शन में थकी हूं। लेकिन नहीं, फिर भी काॅफी बनवाई है मुझसे “
” हे भगवान! अगर तू इतनी ही परेशान है तो तू मेरे पास आजा। कर लेंगे अपने आप सब काम खुद। जब दो दिन खुद काम करेगी ना तो कल ठिकाने आ जाएगी”
अनुराधा जी ने कहा।


“मैं भी यही सोच रही थी मम्मी। अब देखती हूं। बात करती हूं इनसे। अगर ननदे कल नहीं गई तो मैं सीधे मायके आ जाऊंगी”
” जैसा तुझे ठीक लगे बेटा। पर कोशिश करके देखना”
कहकर अनुराधा जी ने फोन रख दिया।
मानसी ने हिम्मत कर पूछा,
” क्या हुआ मम्मी जी, सब ठीक तो है”
मानसी की तरफ देखकर अनुराधा जी चाय का कप हाथ में लेकर बोली,
” क्या सब ठीक है? सुबह से शाम तक काम करते-करते मेरी बेटी परेशान हो चुकी है। फिर भी देखो ऐसी ननदें पल्ले पड़ी है जो इस समय उससे काॅफी बनवाई है। उसकी सास में क्या अकल नहीं थी कि वो भी थक गई होगी। पर नहीं, खुद की बेटियो के लिए दुख होता है। पर बहू के लिए नहीं”
अनुराधा जी ने चाय को गटकते हुए कहा।
मानसी ने चाय की तरफ देखा। यहां पर भी तो वही हो रहा था। वह भी तो थकी हारी फंक्शन से लौट कर आई थी। और फिलहाल सास को चाय बना कर दी है। पर फिर भी खुद की बहु तो सबसे सुखी है और बेटी सबसे दुखी।

मानसी तो अपने कमरे में आ गई और चैन की बिगुल बजाकर सो गई। आखिर सुबह की थकी हुई थी।
दूसरे दिन जब दरवाजे पर दस्तक हुई तो मानसी की नींद खुली। घड़ी में देखा तो सुबह के 6:00 रहे थे। इतनी सुबह-सुबह कौन आया होगा। सोचते हुए मानसी ने दरवाजा खोला। देखा तो सामने नंदिनी खड़ी थी। नंदिनी ने उसे कुछ भी बोलने का मौका ही नहीं दिया। और उसे परे हटाकर घर में आ गई।
‘हे भगवान लगता है कुछ ना कुछ कांड कर आई है ‘
मन ही मन सोचती भी मानसी नंदनी के पास आई और बोली,

” क्या हुआ दीदी इतनी सुबह-सुबह”
” तुम को इससे क्या? मम्मी कहां है?”
” अब आप सुबह-सुबह आई है तो अपने कमरे में ही होगी वो। शायद वो भी सो रही होगी”
लेकिन बाहर इतनी आवाज़ सुनकर मानसी का पति रवि और अनुराधा जी उठकर अपने अपने कमरे से बाहर आ गए। सामने नंदिनी को देखकर हैरान रह गए। तब नंदिनी अपनी मां के गले लग कर बोली,
“अब तो मैं नहीं जाऊंगी उस घर में मम्मी। बताओ दोनों ननदों को दो दिन के लिए रोक लिया। कह रहे थे साथ में कुल देवी के मंदिर दर्शन करने जाएंगे। अब बताओ मैं क्या नौकरानी लगी हूं जो लोगों के लिए घर का काम करती रहूंगी”
नंदिनी की बात सुनकर मानसी जी बोली,
” अच्छा किया तूने बेटा। ये ससुराल वाले भी ना बहू को कुछ समझते ही नहीं है। पर तू सुबह-सुबह क्यों आई? और तेरा बेटा कहां है?”
“अरे मम्मी क्या बताऊं? रात को ग्यारह बजे तो इन लोगों ने डिसाइड किया कि ये लोग रात के लिए नहीं, बल्कि दो दिन के लिए रहेंगी। मैंने तो सुबह होने का वेट किया। और सुबह होते ही सबसे पहले घर से निकल के आई हूं। मैंने तो तुम्हारे दामाद को भी कह दिया कि जब तुम्हारी बहने चली जाए तो बुला लेना। तब तक मैं अपने मायके में ही रहूंगी। आखिर में इन ननदों की नौकरानी थोड़ी ना लगी हूं। और बेटे को भी उन्हीं के पास छोड़ कर आ गई। अपने आप उसका काम करेगी तो पता चल जाएगा “
“अच्छा किया तूने। ऐसे ही ये लोग सबक सीखेंगे”


अनुराधा जी ने कहा।
” क्या मम्मी, क्या सीखा रही हो आप इसे। ऐसे तो ये कभी ससुराल में रहेगी नहीं। एक बच्चे की मां हो गई लेकिन अभी तक रिश्ते निभाने नहीं आए। बताओ, कैसी मां है? अपने बच्चे को भी वहीं छोड़ आई”
रवि ने कहा।
” तू चुप कर। तुझे क्या पता ये औरतों वाली बातें। तेरी पत्नी तो यहां खुशी खुशी रहती है। इसलिए तुझे बहन का दुख नहीं दिखता”
अनुराधा जी उसे डांटते हुए बोली।
तभी अनुराधा जी मानसी की तरफ देखकर बोली,
” मानसी तू यहां क्या खड़ी है। जा फटाफट से चाय बना कर ले आ। आज सुबह-सुबह की चाय मैं अपनी बेटी और बेटे के साथ ही पिऊंगी “
मानसी ने रवि की तरफ देखा। फिर अपने कमरे में चली गई थोड़ी देर हो जाने के बावजूद भी जब चाय नहीं आई तो अनुराधा जी ने मानसी को आवाज लगाई,
“अरे मानसी बहू, चाय बना रही है या बीरबल खिचड़ी। अभी तक चाय क्यों नहीं आई”
तभी मानसी तैयार होकर अपने बैग के साथ बाहर निकली। उसे बैग के साथ देखकर अनुराधा जी हैरान रह गई,


” बहु तू ये सामान लेकर कहां जा रही है “
” जी मम्मी जी, मैं अपने मायके जा रही हूं”
” अब तूने क्या तमाशा लगा रखा है। किस से पूछ कर मायके जा रही है”
” इसमें पूछने की क्या बात है। जब ननद घर आती है तो भाभी को मायके चले जाना चाहिए। अभी थोड़ी देर पहले ही तो आप नंदिनी दीदी को समझा रही थी। बस मैंने भी आपसे ही सीख लिया”
” बहु तू मेरी बेटी की बराबरी मत कर। तुझे क्या पता, वो कितनी परेशानी से रहती है। तू तो यहां ऐशो आराम से रहती है”


” हां मम्मी जी, सही कहा आपने। एक सास की नजर में उसकी बहू दुनिया की सबसे सुखी औरत होती है और बेटी सबसे दुखी औरत। अगर पूरे दिन के काम के बाद बेटी की सास कॉफी बनाने को कह दे तो गलत है। लेकिन बहु को सास चाय बनाने के लिए कह दे तो सही है। मैंने भी तो कल आपके लिए चाय बनाई थी फंक्शन से आने के बाद”
मानसी की बात का अनुराधा जी के पास कोई जवाब नहीं था। आखिर बेटी के घर की आग खुद के घर में लगती देखकर उन्होंने चुप रहना ही बेहतर समझा। पर इतना उन्हें समझ में आ गया कि अब बेटी के गलत को लेकर उनकी मनमानी यहां नहीं चलेगी। थोड़ी देर बाद ही वो खुद नंदिनी को उसके ससुराल छोड़कर आ गई ये कहकर कि जरा सोच समझ कर मायके आना। वरना तेरे कारण मेरे घर में आग लग जाएगी।


आप को moral story in hindi: दुनिया की सबसे सुखी औरत बहू तो दुनिया की सबसे दुखी औरत कैसी लगी।

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