Short Love Story: आंखे चार होना 

Short Love Story

Short love story: विवेक राधिका के पिताजी सुरेश जी के खास दोस्त का बेटा था राधिका के शहर मैं अपना एमबीए करने आया था विवेक के पिताजी की हैसियत ज्यादा अच्छी नहीं थी तो सुरेश जी ने वादा किया की वो हमारे साथ ही रहेगा विवेक भी खुश था की पैसों की बचत होगी साथ में घर पर अपनों का साथ रहेगा

राधिका विवेक की हम उम्र ही थी दोनों के बीच बातचीत होना शुरू हुई उसे पढ़ाई से संबंधित कुछ समझ नही आता था तो विवेक से समझ लेती एक दिन पढ़ते हुए
विवेक समझाने के लिए करीब आया दोनो की आंखे चार हुई और दोनों एक दूसरे को देखते रह गए

राधिका शरमाते हुए अपने कमरे मै चली गई विवेक के अंदर भी राधिका के लिए प्यार उमड़ आया लेकिन अगले पल ही उसका मन आत्म ग्लानि से भर गया की जिस घर ने उस पर विश्वास कर के उसको सहारा दिया
वो उनके साथ विश्वासघात नही कर सकता उसने राधिका से बात करके अपने दिल की बात बता दी और कहा तुम भी इस बात को समझ जाओ तो सही है कल को मैं कुछ बन जाऊं तब बात करूंगा तुम्हारे पिताजी से
राधिका को दुख तो हो रहा था लेकिन उसने विवेक की खातिर अपने दिल को समझा लिया
आज चार साल बाद दोनों की आंखे फिर चार हुई विवेक अपने घरवालों के साथ राधिका का हाथ मांगने आया था इस बार उसकी आंखो मैं ग्लानि नही प्यार था.!!

स्वरचित
अंजना ठाकुर

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